अध्याय 1
किसी भी भाषा को सीखने की इच्छा रखने वाले को उस भाषा की मूल ध्वनियाँ सीखनी चाहिए | जैसे यही हम अंग्रजी भाषा सीखना चाहते हैं तो सब से पहले उसके A से Z तक के वर्ण (Alphabets) सीखने पड़ते हैं | उसी तरह हिंदी सिखने के लिए भी सब से पहले 'अ' से लेकर 'ह' तक के वर्णों को सीखना आवश्यक है | भाषा की यह मूल ध्वनियाँ ही वर्ण कहलाती हैं |'
वर्ण -
भाषा की वह छोटी से छोटी इकाई (unit) या ध्वनि जिसके आगे खंड नहीं किये जा सकते वर्ण कहलाती है | जैसे
क् , च् , ट् , त् , प् , अ आदि
और वर्णों का समूह वर्णमाला कहलाता है | इन वर्णों को मुख्यतः दो खण्डों में विभाजित किया गया है |
स्वर - जिन वर्णों का उच्चारण करते समय स्वास वायु बिने किसी से टकराए अर्थात बिना किसी रूकावट के सीधी बहार निकल जाती है वे वर्ण स्वर कहलाते है | इन वर्णों के उच्चारण के समय किसी अन्य ध्वनि के सहारे की आवश्यकता नहीं होती | जैसे
अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ऋ , ए , ऐ , ओ , औ (11 स्वर )
महत्वपूर्ण तथ्य - यह बात ध्यान देने योग्य है कि आजकल चुंकि 'ऋ' का उच्चारण 'रि ' होता है और 'रि' में 'र' व्यंजन ध्वनि है अत: 'ऋ' को पूर्णरूप से स्वर नहीं माना जा सकता | अत: इसे स्वर और व्यंजन से अतरिक्त वर्ण माना जाने लगा है | अत: अब स्वरों की संख्या 10 मानी जाती है |
अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ऋ , ए , ऐ , ओ , औ (10 स्वर )
स्वर भाषा में स्वत्रंत रूप से भी लिखे जाते है वह मात्राओं के रूप में भी लिखे जाते हैं | इस दृष्टि से स्वर के भेद हैं
अगले ब्लॉग में हम स्वर के भेदों की चर्चा करेंगें |
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