Saturday, 17 December 2016

स्वर के भेद (Types of Vowels )

अध्याय 2 


पहले अध्याय में हमने वर्ण तथा उसके भेद स्वर की बात की थी | उसमें हम स्वर की परिभाषा तथा स्वरों की संख्या की बात कर चुकें हैं | इस अध्याय में हम स्वर के भेदों की चर्चा करेंगें |

जिन स्वरों के उच्चरण में जितना समय लगता है उसी अनुसार स्वरों में भेद किया गया है | कुछ स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है तथा कुछ स्वरों के उच्चारण में अधिक समय लगता है | इसी दृष्टि से स्वरों के 3 भेद हैं |

  • ह्रस्व स्वर  -  जिन स्वरों के उच्चारण में बहुत कम समय लगता है वे 'ह्रस्व स्वर' कहलाते हैं | जैसे - अ , इ, उ 

महत्वपूर्ण बिंदु - स्वरों को मात्रा की दृष्टि से भी अलग किया जाता है | उस अनुसार  'ह्रस्व स्वर' एक मात्रिक है अर्थात एक मात्र वाले वर्ण | एकमात्रिक होने के कारण ही इनके उच्चारण में सब से कम समय लगता है |

  • दीर्घ स्वर जिन स्वरों के उच्चारण में 'ह्रस्व स्वरों' से अधिक समय लगता है वह 'दीर्घ स्वर' कहलाते हैं | जैसे  - आ , ई , ऊ 
मात्रा की दृष्टि से दीर्घ स्वर द्विमात्रिक स्वर कहलाते हैं अर्थात दो मात्रा वाले स्वर| दो मात्रा वाले होने के कारण ही इनके उच्चारण में 'ह्रस्व स्वर' से दुगना समय लगता है |
जैसे - 
 अ + अ  = आ , इ + इ = ई , उ + उ = ऊ 

  • प्लुत स्वर  - जिन स्वरों के उच्चारण में सबसे अधिक समय लगता है वे 'प्लुत स्वर' कहलाते हैं | 
मात्रा की दृष्टि से ये त्रिमात्रिक होते हैं अर्थात तीन मात्रा वाले स्वर |
तीन मात्रा वाले स्वर होने के कारण ही इनके उच्चारण में ह्रस्व स्वरों से तिगुना समय लगता है |जैसे 'ओउम्'


इन तीन भेदों के अतरिक्त स्वर का एक भेद और भी है जो है -

  • सयुंक्त स्वर - दो असमान स्वरों के मिलने से 'सयुंक्त स्वर' बनते हैं | जैसे -  ए , ऐ , ओ , औ  

ये सयुंक्त स्वर इन स्वरों के मिश्रण से बनते हैं ,

अ  या  आ  +  इ या ई  = ए 
अ या आ  + ए  = ऐ 
अ  या  आ  + उ  या ऊ  = ओ 
अ  या आ  + ओ  = औ 



अगले अध्याय में हम व्यंजन के विषय में बात करेंगे |

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